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Nipah Virus In Kerala Explained: कितना घातक है निपाह वायरस और केरल से इसका क्या संबंध है? 2023

Nipah Virus In Kerala Explained: कितना घातक है निपाह वायरस और केरल से इसका क्या संबंध है?
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Nipah Virus In Kerala Explained : केरल में निपाह वायरस ने दो लोगों को मार डाला है। 2018 और 2021 में भी कोझिकोड में इस वायरस से मौतें हुईं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि निपाह वायरस आखिर कितना घातक है और केरल में इसके बार-बार मामले क्यों होते हैं? एक्सपर्ट से इन सवालों के जवाब जानें।

Nipah Virus In Kerala Explained: कितना घातक है निपाह वायरस और केरल से इसका क्या संबंध है?
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Nipah Virus In Kerala Explained

केरल में फिर से निपाह वायरस आया है। दो लोगों की संक्रमण से मौत के बाद केरल सरकर अलर्ट हो गया है। मरने वालों के करीबी सदस्यों को अब चिकित्सा दी जा रही है। संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एक प्रमुख विशेषज्ञ दल को केरल भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग ने कोझिकोड में मौत के मामले सामने आने के बाद अलर्ट जारी किया है। राज्य से चार अन्य लोगों को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में सैम्पल जांच के लिए भेजा गया है।

यह केरल में निपाह वायरस की पहली घटना नहीं है। 2018 और 2021 में भी कोझिकोड में इस वायरस से मौतें हुईं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि निपाह वायरस आखिर कितना घातक है और केरल में इसके बार-बार मामले क्यों होते हैं? एक्सपर्ट से इन सवालों के जवाब जानें।

निपाह वायरस क्या है? यह कितना घातक है?

यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 1998 में मलेशिया के एक गांव सुंगई निपाह में इसका पहला मामला सामने आया था। लोगों के संक्रमण के बाद इस पर अध्ययन शुरू हुआ और इसका नाम गांव पर रखा गया। पशुपालन से जुड़े लोगों में यह संक्रमण फैल गया। यह सिर्फ इंसान नहीं बल्कि पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बकरी और घोड़े में भी देखा गया था।

WHO ने कहा कि यह संक्रमण घातक है। संक्रमण के बाद मरीजों की मौत का खतरा ४० से ७५ प्रतिशत है। हालाँकि, यह मरीज को कितनी जल्दी उपचार मिलने पर भी निर्भर करता है। अब तक कोई वैक्सीन नहीं बनाई गई है, इसलिए इसके लक्षणों को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है।

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क्या निपाह वायरस का केरल से संबंध है?

जब हम निपाह वायरस के मामलों को देखेंगे तो पता चलेगा कि सबसे अधिक मामले केरल में हुए हैं। बांग्लादेश में निपाह वायरस की खोज करने वाले प्रोफेसर स्टीफेन लुबी ने इसका कारण बताया। निपाह वायरस पर पिछले 15 साल से अध्ययन कर रहे प्रोफेसर लुबी ने कहा कि दक्षिण एशिया में बड़े आकार वाले चमगादड़ निपाह वायरस फैलाते हैं। इस चमगादड़ को फ्रूट बैट कहते हैं क्योंकि यह ताड़ी को खाने के लिए फलों का रस चूसता है। इनमें से अधिकांश भारत के दक्षिणी राज्यों में हैं। यही चमगादड़ निपाह वायरस फैलाता है। इनमें से अधिकांश केरल में हैं। इसके अलावा श्रीलंका, भारत का पड़ोसी देश है।

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चमगादड़ संक्रमित क्यों नहीं होता?

प्रोफेसर लुबी का कहना है कि चमगादड़ में पाई जाने वाली एक खास तरह की एंटीबॉडीज इसकी वजह है। एंटीबॉडीज चमगादड़ को सुरक्षित रखते हैं, इसलिए वायरस उनके शरीर में रहता है लेकिन इन्हें संक्रमित नहीं कर सकता। यह वायरस चमगादड़ में जीवित रहता है। यह वायरस चमगादड़ को फल या ताड़ी पीने से मिलता है। इस तरह संक्रमण संक्रमित फल या ताड़ी से लोगों तक पहुंचता है। चमगादड़ का मल-मूत्र भी निपाह वायरस को इंसानों तक पहुंचा सकता है।

कौन-से लक्षणों को देखकर अलर्ट हो जाएं और उनसे कैसे बचें?

निपाह वायरस आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। इसलिए सतर्क रहना आवश्यक है। संक्रमण के बाद मरीज कई लक्षण दिखाते हैं। जैसे वायरल फ्लू, सिरदर्द, सांस लेने में परेशानी, चक्कर आना। दो हफ्ते तक लक्षण बने रह सकते हैं। ऐसा होने पर फिजिशियन से परामर्श लें।

संक्रमण की पुष्टि करने के लिए सेरोलॉजी, सीरम न्यूट्रिलाइजेशन टेस्ट, हिस्टोपैथोलॉजी, पीसीआर और वायरस आइसोलेशन परीक्षण किए जाते हैं।खतरा कम करने के लिए अपने हाथों को साबुन से धोएं। पेड़ से टूटकर गिरे हुए फलों को नहीं खाना चाहिए। या पक्षी की चोंच से खरोंचा हुआ फल खाने से बचें। बुखार लगते ही चिकित्सक से संपर्क करें।फर्मेंटेड ताड़ी नहीं पीना चाहिए।

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नमस्ते, मैं राम एक Full-Time Blogger और VegamoviesReviews.com का संस्थापक हूं, यहां मैं लोगों के ज्ञान को बढ़ाने में मदद करने के लिए NEWS के बारे में पोस्ट करता हूं।

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